भारत का ये बड़ा बैंक हुआ बंद, अब कैसे मिलेगा फंसा हुआ पैसा Bank Closed

By Prerna Gupta

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Bank Closed

Bank Closed – उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मौजूद एचसीबीएल कोऑपरेटिव बैंक पर हाल ही में आरबीआई ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इसका लाइसेंस रद्द कर दिया है। जैसे ही ये खबर सामने आई, बैंक के ग्राहकों में हड़कंप मच गया। लोग सोच में पड़ गए कि अब उनके पैसे का क्या होगा। लेकिन घबराने वाली बात नहीं है क्योंकि ग्राहकों के पैसे सुरक्षित हैं।

आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया कि यह कदम बैंक की कमजोर आर्थिक हालत और नियमों की अनदेखी के कारण उठाया गया है। बैंक के पास न तो जरूरी पूंजी थी और न ही कमाई की कोई संभावना दिख रही थी। ऐसे में इसे चलाते रहना, ग्राहकों के पैसों को जोखिम में डालना होता। इसी कारण से यह फैसला लिया गया ताकि बैंकिंग व्यवस्था और लोगों के हितों की सुरक्षा हो सके।

बैंक क्यों हुआ बंद?

एचसीबीएल कोऑपरेटिव बैंक की हालत पिछले कुछ समय से लगातार बिगड़ती जा रही थी। बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट 1949 के कई नियमों का ये बैंक पालन नहीं कर रहा था। बैंक का पूंजी अनुपात बहुत नीचे चला गया था और उसकी संपत्तियों की गुणवत्ता भी गिर चुकी थी। इतना ही नहीं, बैंक का एनपीए यानी गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों का स्तर भी काफी बढ़ गया था। इन सब वजहों से आरबीआई को लगा कि इस बैंक को बंद करना ही बेहतर होगा।

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पैसे डूबे नहीं हैं – जानिए क्यों

बैंक के बंद होने से सबसे बड़ा डर यही होता है कि लोगों का पैसा डूब जाएगा। लेकिन यहां ग्राहकों के लिए राहत की बात ये है कि उनका पैसा सुरक्षित है। भारत में एक संस्था है डीआईसीजीसी – यानी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन। इसके तहत हर ग्राहक को उसकी जमा राशि पर पांच लाख रुपये तक का बीमा कवर मिलता है। इसमें जमा की गई रकम और उस पर मिलने वाला ब्याज भी शामिल होता है।

आरबीआई ने बताया है कि एचसीबीएल के करीब 98 प्रतिशत ग्राहकों की जमा राशि पांच लाख रुपये से कम है, इसलिए उन्हें पूरा पैसा वापस मिलेगा। इससे लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी।

पैसे मिलने की प्रक्रिया शुरू

डीआईसीजीसी ने भी तेजी दिखाते हुए अभी तक करीब 21 करोड़ रुपये की बीमा राशि ग्राहकों को लौटा दी है। बाकी योग्य जमाकर्ताओं को भी जल्द ही उनका पैसा मिल जाएगा। बैंक का परिसमापक नियुक्त होने के बाद वो डीआईसीजीसी के साथ मिलकर बचे हुए ग्राहकों को भी भुगतान सुनिश्चित करेगा। इस पूरी प्रक्रिया में थोड़ी समय लग सकता है लेकिन यह तय है कि बीमा कवर के तहत लोगों को उनका पैसा मिलेगा।

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अब आगे क्या होगा?

बैंक की परिसमापन प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसका मतलब ये है कि बैंक की संपत्तियों को बेचा जाएगा और उससे मिलने वाले पैसे से सबसे पहले जमाकर्ताओं को भुगतान किया जाएगा। इसके बाद अगर कुछ बचता है तो बाकी लेनदारों को भी पैसे मिलेंगे। यह पूरा काम आरबीआई की निगरानी और तय नियमों के तहत होगा।

बैंकिंग नियमों का उल्लंघन पड़ा भारी

एचसीबीएल बैंक ने बैंकिंग नियमों का पालन नहीं किया, जिसकी वजह से इसका लाइसेंस गया। आरबीआई लगातार सभी बैंकों पर नजर रखता है और जो बैंक नियमों से हटकर काम करता है, उसके खिलाफ कार्रवाई करता है। इससे साफ है कि अब कोई भी बैंक लापरवाही नहीं कर सकता।

सहकारी बैंकों को सावधान होने की जरूरत

छोटे कोऑपरेटिव बैंक जैसे एचसीबीएल अक्सर पूंजी की कमी, कमजोर प्रबंधन और सही निगरानी के अभाव में मुश्किल में आ जाते हैं। इसलिए ऐसे बैंकों को अब प्रोफेशनल तरीके से काम करना होगा, गवर्नेंस सुधारनी होगी और आरबीआई के नियमों का पूरी तरह पालन करना होगा। तभी वे भविष्य में टिक पाएंगे।

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ग्राहकों को क्या सावधानियां रखनी चाहिए

अगर आप बैंक ग्राहक हैं तो ये बातें जरूर ध्यान रखें। एक तो, कभी भी सारा पैसा एक ही बैंक में न रखें, उसे कई बैंकों में बांट दें ताकि बीमा कवर का फायदा मिल सके। दूसरा, हमेशा भरोसेमंद और बड़े बैंकों का चुनाव करें। तीसरा, समय-समय पर अपने बैंक की स्थिति जांचते रहें। और अगर किसी बैंक की हालत खराब लगे, तो तुरंत वहां से पैसा निकाल लें।

आरबीआई की सख्ती और बैंकिंग सुधार

इस पूरे मामले से ये तो साफ हो गया है कि आरबीआई अब बहुत सख्त है और बैंकिंग सेक्टर में लापरवाही बर्दाश्त नहीं करता। आरबीआई की निगरानी की वजह से ही वक्त रहते इस बैंक की हालत पकड़ में आ गई और नुकसान को रोका जा सका। भारत में बैंकिंग सेक्टर को मजबूत बनाए रखने के लिए ऐसे कदम जरूरी हैं।

एचसीबीएल कोऑपरेटिव बैंक का बंद होना एक बड़ा झटका जरूर है, लेकिन यह ग्राहकों के हित में उठाया गया सही कदम है। इससे एक बार फिर साबित होता है कि भारत की बैंकिंग व्यवस्था में ग्राहकों की सुरक्षा के लिए मजबूत तंत्र मौजूद है। हालांकि ग्राहकों को थोड़ी असुविधा जरूर हुई है, लेकिन लंबी अवधि में यह फैसला बैंकिंग सेक्टर को और मजबूत करेगा।

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