OPS Scheme 2025 – सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर आ रही है। लगभग 20 साल बाद पुरानी पेंशन योजना (OPS) फिर से लागू होने की बातें तेज हो गई हैं। सरकारी नौकरी करने वालों के लिए पेंशन का मामला हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है। सालों से कर्मचारी नई पेंशन योजना (NPS) से परेशान हैं और पुरानी योजना की वापसी की मांग कर रहे हैं। अब केंद्र और कई राज्य सरकारों में इस पर गंभीर बातचीत चल रही है। आइए जानें कि आखिर ये पुरानी पेंशन योजना क्या है, नई पेंशन योजना से इसमें क्या फर्क है और आने वाले समय में कर्मचारियों को क्या फायदा हो सकता है।
पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन योजना में क्या फर्क है?
पुरानी पेंशन योजना यानी OPS में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद उनके अंतिम बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था। इसमें पेंशन हर साल महंगाई भत्ते (DA) के हिसाब से बढ़ती रहती थी। इसका मतलब यह था कि रिटायर्ड कर्मचारी को अपनी पेंशन की चिंता नहीं करनी पड़ती थी, पक्का पैसा मिलता था और जीवनभर आर्थिक सुरक्षा बनी रहती थी।
वहीं, नई पेंशन योजना NPS में कर्मचारी की सैलरी से हर महीने 10 प्रतिशत कटौती होती है और उतनी ही रकम सरकार भी जमा करती है। यह पैसा बाजार में निवेश होता है, जिससे मिलने वाला रिटर्न तय करता है कि रिटायरमेंट के बाद पेंशन कितनी मिलेगी। यानी इसमें पेंशन की कोई निश्चितता नहीं रहती और यह पूरी तरह बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर होती है।
कर्मचारियों की क्या राय है?
कई सरकारी कर्मचारी कहते हैं कि नई पेंशन योजना से रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा कम हो गई है। बाजार में अनिश्चितता के कारण पेंशन कभी-कभी कम भी हो सकती है, जिससे उनका जीवन स्तर प्रभावित होता है। इस वजह से कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना की वापसी की मांग कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने भी कई बार प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर OPS को वापस लाने की अपील की है। उनका कहना है कि पुरानी योजना से न केवल पेंशन निश्चित होती थी, बल्कि कर्मचारी मानसिक रूप से भी संतुष्ट रहते थे।
कौन-कौन से राज्य पहले ही लागू कर चुके हैं OPS?
कुछ राज्यों ने इस मांग को मानते हुए पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू कर दिया है। राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने इस योजना को बहाल किया है। हालांकि, इसमें कुछ तकनीकी अड़चनें भी हैं, जैसे कि नई पेंशन योजना में जमा राशि की वापसी और केंद्र सरकार से मंजूरी का इंतजार।
फिर भी, इन राज्यों के फैसले ने पूरे देश के सरकारी कर्मचारियों में उम्मीद जगा दी है। खासकर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के इस दिशा में कदम उठाने की संभावना से कर्मचारी उत्साहित हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार का रुख क्या है?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर्मचारी नेताओं से बातचीत कर इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। केंद्र सरकार ने भी इस मामले में एक समिति बना रखी है, जो OPS पर रिपोर्ट तैयार कर रही है। मुख्यमंत्री ने बताया है कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही अगला फैसला लिया जाएगा। इससे यह साफ होता है कि सरकार इस मुद्दे पर ध्यान दे रही है।
केंद्र सरकार की समिति से क्या उम्मीद की जा रही है?
केंद्रीय समिति से उम्मीद की जा रही है कि वह पुरानी पेंशन योजना के पक्ष में कोई सुझाव देगी। अगर ऐसा हुआ, तो लाखों केंद्रीय कर्मचारी NPS छोड़कर OPS में वापस आ सकते हैं। यह विकल्प कर्मचारियों की दशकों पुरानी मांग को पूरा करने जैसा होगा।
सरकार के सामने वित्तीय चुनौती
पुरानी पेंशन योजना लागू करने में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती वित्तीय है। OPS में पेंशन की गारंटी सरकार को देनी पड़ती है, जिससे भविष्य में भारी फंडिंग की जरूरत होगी। वहीं नई पेंशन योजना को सरकार ज्यादा टिकाऊ मानती है क्योंकि इसमें उसकी जिम्मेदारी सीमित होती है।
इसलिए सरकार के लिए सबसे बेहतर रास्ता होगा कि वह कर्मचारियों को विकल्प दे। चाहे वे NPS में रहें या OPS चुनें। इससे हर कर्मचारी अपनी सुविधा और जरूरत के हिसाब से योजना चुन सकेगा।
चुनावी असर भी हो सकता है
यह मुद्दा अब सिर्फ वित्तीय या प्रशासनिक नहीं रह गया है, बल्कि राजनीतिक भी हो गया है। लोकसभा चुनाव 2024 और कई राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले इस मामले पर सरकार की छवि भी जुड़ी हुई है। कर्मचारी संगठन पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि अगर OPS को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं हुआ तो वे आंदोलन कर सकते हैं।
आगे क्या हो सकता है?
सरकारी कर्मचारियों के लिए यह वक्त काफी महत्वपूर्ण है। कुछ राज्यों ने तो पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है, तो केंद्र सरकार भी इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि अगर सरकार कर्मचारियों को दोनों योजनाओं में से चुनने का मौका दे, तो यह उनके लिए बड़ा फायदे का सौदा होगा।
इससे न सिर्फ कर्मचारियों को भरोसेमंद पेंशन मिलेगी बल्कि सरकार और कर्मचारियों के बीच विश्वास भी बढ़ेगा। अब देखने वाली बात यह है कि आने वाले महीनों में सरकार क्या फैसला करती है और क्या सालों की मांगों के बाद OPS की वापसी संभव हो पाती है या नहीं।
सरकारी कर्मचारियों के लिए यह समय बदलाव का है और पुरानी पेंशन योजना की वापसी उनके आर्थिक भविष्य को मजबूत कर सकती है।