अब कब्जाधारी भी हो सकता है प्रॉपर्टी का असली मालिक, सुप्रीम कोर्ट ने दिया चौकाने वाला फैसला Property Possession

By Prerna Gupta

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Property Possession

Property Possession – अगर आपकी कोई पुरानी प्रॉपर्टी है और आप उसे लंबे समय से नजरअंदाज कर रहे हैं, तो आपको थोड़ा सावधान हो जाना चाहिए। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है, जिसने प्रॉपर्टी कब्जे के नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है। इस फैसले के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति आपकी जमीन या मकान पर लगातार 12 साल तक कब्जा जमाए रखता है, और आप उस पर कोई आपत्ति नहीं करते, तो वह व्यक्ति उस प्रॉपर्टी का कानूनी मालिक भी बन सकता है।

कहां से आया यह नियम?

इस नियम को कानून की भाषा में “Adverse Possession” कहा जाता है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति किसी जमीन या मकान पर बिना रोक-टोक और शांतिपूर्वक 12 साल तक कब्जा बनाए रखता है, और असली मालिक ने उस दौरान कोई विरोध या शिकायत नहीं की, तो अदालत उस कब्जाधारी को प्रॉपर्टी का मालिक मान सकती है। ये नियम इसलिए बनाए गए ताकि जमीन पर लंबे समय तक बिना इस्तेमाल के पड़े कब्जे या विवादों को सुलझाया जा सके।

किराएदार भी कर सकता है दावा?

सरल भाषा में कहें तो, कोई किराएदार भी अगर सालों से आपके घर में रह रहा है और उसने रेंट एग्रीमेंट नहीं रिन्यू कराया, तो वह भी 12 साल बाद मालिकाना हक का दावा कर सकता है। लेकिन इसके लिए उसे कुछ ठोस सबूत दिखाने होंगे, जैसे बिजली-पानी के बिल, प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद, या प्रॉपर्टी डीड आदि। यह साबित करना जरूरी होता है कि वह वहां मालिक की तरह रह रहा था और किसी ने भी उस कब्जे पर ऐतराज नहीं किया।

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सुप्रीम कोर्ट ने पहले क्या कहा था?

पहले 2014 में सुप्रीम कोर्ट का रुख इस मामले में कुछ अलग था। तब कोर्ट ने कहा था कि कब्जा करने वाला कोई भी स्थिति में प्रॉपर्टी का मालिक नहीं बन सकता। लेकिन अब हाल ही में दो जजों की बेंच ने इसे पलट दिया है। उनका मानना है कि अगर 12 साल तक कोई शख्स बिना किसी रोक-टोक के जमीन पर कब्जा बनाए रखता है, तो उसे Adverse Possession का फायदा मिलना चाहिए और असली मालिक को उस जमीन को वापस लेने के लिए अदालत में जाकर मामला लड़ना होगा।

लिमिटेशन एक्ट क्या कहता है?

भारत में Limitation Act, 1963 के तहत प्राइवेट प्रॉपर्टी पर कब्जा करने वाले का 12 साल का समय तय है। यानी अगर कोई 12 साल से जमीन पर कब्जा जमाए रखता है और मालिक ने कोई कानूनी कदम नहीं उठाया, तो कब्जाधारी उसका मालिक माना जा सकता है। वहीं अगर बात सरकारी जमीन की हो तो ये अवधि 30 साल की होती है। यानी सरकारी जमीन पर 30 साल से कब्जा जमाए बैठा व्यक्ति भी मालिकाना हक के लिए दावा कर सकता है।

क्या प्रॉपर्टी मालिक के लिए ये फैसला खतरा है?

बिल्कुल! यह फैसला मकान मालिकों और जमीन के असली मालिकों के लिए एक बड़ा अलर्ट है। अगर आप अपनी प्रॉपर्टी पर ध्यान नहीं देंगे या कब्जाधारी पर समय-समय पर आपत्ति नहीं जताएंगे, तो वह व्यक्ति 12 साल बाद कानूनी तौर पर आपकी प्रॉपर्टी का मालिक बन सकता है। इसलिए मालिकों को चाहिए कि वे अपनी प्रॉपर्टी पर नजर रखें और अगर कोई संदिग्ध कब्जा दिखाई दे तो तुरंत कार्रवाई करें।

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कैसे बचें कब्जाधारी की मार से?

  • अपनी प्रॉपर्टी को लंबे समय तक खाली न छोड़ें।
  • समय-समय पर वहां जाकर चेक करते रहें।
  • अगर प्रॉपर्टी किराए पर दी है तो हर बार 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट जरूर बनाएं और उसे नियमित रूप से रिन्यू करें।
  • बिजली-पानी के बिल और टैक्स के कागजात अपने नाम पर रखें।
  • अगर कोई किराएदार है तो उसका कब्जा अस्थायी रखें, ताकि वह स्थायी मालिक न बन सके।
  • कब्जा हो गया है तो कानूनी रास्ता अपनाएं, खुद से कब्जाधारी को हटाने की कोशिश न करें।

कब्जाधारी को हटाना इतना आसान नहीं

अगर कोई शख्स आपकी प्रॉपर्टी पर 12 साल से कब्जा बनाए हुए है और आपने उस दौरान कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की, तो उसे वहां से हटाना बहुत मुश्किल हो जाता है। आपको कोर्ट जाकर यह साबित करना होगा कि वह कब्जा गलत था या आपने इस पर विरोध जताया था। बिना कोर्ट के आदेश के कब्जाधारी को हटाना गैरकानूनी माना जाएगा।

कोर्ट में क्या सबूत चाहिए?

अगर मामला कोर्ट तक पहुंचता है तो दोनों तरफ से सख्त सबूत मांगे जाएंगे। कब्जाधारी को दिखाना होगा कि उसने 12 साल तक लगातार बिना किसी रुकावट के कब्जा बनाए रखा। वहीं मालिक को यह साबित करना होगा कि उसने कब्जे पर आपत्ति जताई थी या कब्जा वैध नहीं था। सिर्फ वसीयत या पावर ऑफ अटॉर्नी से मालिकाना हक साबित नहीं होगा। असली मालिक को मजबूत कागजात और कानूनी दस्तावेज लेकर आना होगा।

आगे क्या करें?

अगर आप चाहते हैं कि आपकी प्रॉपर्टी सुरक्षित रहे, तो उसे नजरअंदाज न करें। छोटी-छोटी सावधानियां ही आपको बड़े नुकसान से बचा सकती हैं। समय-समय पर प्रॉपर्टी की देखभाल करें, जरूरी दस्तावेज अपने पास रखें और किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर कानूनी मदद लें।

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