Gratuity Rules – अब नौकरी छोड़ते वक्त आपको ये सोचकर परेशान होने की जरूरत नहीं है कि आपने पांच साल पूरे किए या नहीं। बहुत से लोगों को लगता है कि ग्रेच्युटी सिर्फ उन्हीं को मिलती है जिन्होंने पांच साल तक लगातार किसी कंपनी में काम किया हो, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
अगर आपने चार साल और कुछ दिन भी काम कर लिया है, तो आप ग्रेच्युटी के हकदार हो सकते हैं। आइए समझते हैं नए नियम क्या कहते हैं और आपको कैसे फायदा हो सकता है।
पहले क्या था नियम
पहले ग्रेच्युटी को लेकर एक आम धारणा थी कि जब तक कोई कर्मचारी पांच साल पूरे नहीं करता, तब तक उसे ग्रेच्युटी नहीं मिलती। कई लोग इस वजह से परेशान रहते थे और सोचते थे कि अगर चार साल के बाद किसी कारण से नौकरी छोड़नी पड़ी, तो उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। लेकिन अब तस्वीर थोड़ी बदली है।
क्या कहता है नया नियम
ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी एक ही कंपनी में चार साल और 240 दिन तक लगातार काम करता है, तो उसे ग्रेच्युटी मिल सकती है। अब ये “चार साल और 240 दिन” वाली बात समझ लेते हैं।
अगर आपने किसी कंपनी में लगातार चार साल तक काम किया है और पांचवें साल में भी 240 दिन यानी लगभग आठ महीने तक नौकरी की है, तो कानून के मुताबिक आपको ग्रेच्युटी मिलनी चाहिए।
ये नियम किन पर लागू होता है
– अगर आपकी कंपनी हफ्ते में छह दिन चलती है, तो आपके लिए 240 दिन का नियम लागू होता है।
– अगर आप किसी ऐसी जगह काम करते हैं, जहां हफ्ते में पांच दिन या उससे कम काम होता है, जैसे कोई माइंस या फैक्ट्री, तो वहां 190 दिन का नियम लागू होता है।
– इसका मतलब ये हुआ कि अगर आपने पांचवें साल में भी यह दिन पूरे कर लिए हैं, तो आप ग्रेच्युटी के हकदार हैं।
क्या हर कोई इसे मानता है
अब यहां थोड़ा ट्विस्ट है। कुछ हाई कोर्ट्स जैसे दिल्ली और मद्रास हाई कोर्ट ने माना है कि चार साल और 240 दिन पूरे करने वाले कर्मचारी को ग्रेच्युटी दी जानी चाहिए।
लेकिन कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस पर थोड़ी अलग राय दी है। उनके मुताबिक ये नियम कुछ खास हालात में लागू होते हैं, जैसे अगर कोई कर्मचारी बीमारी या दुर्घटना की वजह से नौकरी छोड़ रहा हो। अगर कोई खुद की मर्जी से इस्तीफा देता है, तो उसे पांच साल पूरे करने होते हैं।
इसलिए हो सकता है कि अलग-अलग जगहों पर कंपनियों का नजरिया अलग हो। अगर आपकी कंपनी ग्रेच्युटी देने से मना करती है, तो आप लेबर कोर्ट या लेबर कमिश्नर के पास शिकायत कर सकते हैं।
ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन कैसे होता है
अब अगर आप ये जानना चाहते हैं कि ग्रेच्युटी की रकम कैसे निकाली जाती है, तो इसका एक सीधा फॉर्मूला है:
(15 × आखिरी सैलरी × सर्विस पीरियड) ÷ 26
मान लीजिए आपकी आखिरी सैलरी 40000 रुपये थी और आपने पांच साल की नौकरी की है, तो आपकी ग्रेच्युटी कुछ ऐसे निकलेगी –
(15 × 40000 × 5) ÷ 26 = करीब 1,15,385 रुपये
इसमें आखिरी सैलरी में बेसिक और डीए (डिअरनेस अलाउंस) जोड़ा जाता है।
क्या इस पर टैक्स देना होगा
अगर आपकी ग्रेच्युटी की रकम 20 लाख रुपये से कम है, तो इस पर कोई टैक्स नहीं लगता। ये पूरी तरह टैक्स फ्री होती है। लेकिन अगर आपको 20 लाख से ज्यादा की ग्रेच्युटी मिलती है, तो अतिरिक्त रकम पर टैक्स लगेगा।
नौकरी छोड़ने से पहले क्या ध्यान रखें
– अपना सर्विस रिकॉर्ड अच्छे से चेक करें
– जॉइनिंग और रिलीविंग डेट के बीच में कोई लंबा गैप तो नहीं है
– पगार स्लिप और एंप्लॉयमेंट लेटर संभालकर रखें
– अगर जरूरत पड़े तो प्रोफेशनल लीगल सलाह जरूर लें
अब ग्रेच्युटी सिर्फ उन लोगों का हक नहीं जो पांच साल तक नौकरी करते हैं। अगर आपने चार साल और थोड़ा सा एक्स्ट्रा काम भी कर लिया है, तो भी आप इसे पाने के हकदार हैं।
लेकिन ध्यान रहे कि हर कंपनी और राज्य में इसका अमल थोड़ा अलग हो सकता है, इसलिए जानकारी रखना जरूरी है। अगर कंपनी न माने, तो कानून का सहारा लिया जा सकता है।