चेक बाउंस पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला – अब नहीं काटने पड़ेंगे कोर्ट के चक्कर Cheque Bounce

By Prerna Gupta

Published On:

Cheque Bounce

Cheque Bounce – आजकल ज्यादातर लोग डिजिटल पेमेंट जैसे UPI या ऑनलाइन बैंकिंग को अपनाने लगे हैं, लेकिन इसके बावजूद अब भी बहुत सारे लोग चेक के जरिए लेन-देन करते हैं। बिजनेस डील हो या कोई बड़ा भुगतान, कई बार लोग भरोसे के तौर पर चेक दे देते हैं। लेकिन सोचिए, अगर वो चेक बाउंस हो जाए तो क्या होता है? सामने वाला इंसान परेशान हो जाता है, कोर्ट-कचहरी के चक्कर शुरू हो जाते हैं और समय के साथ-साथ पैसा भी बर्बाद होता है।

अब सुप्रीम कोर्ट ने इसी मसले पर एक अहम फैसला सुनाया है, जो चेक से लेन-देन करने वाले हर इंसान के लिए जानना जरूरी है। ये फैसला काफी राहत देने वाला है क्योंकि इससे उन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी जो अक्सर ऐसे मामलों में फंस जाते हैं।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में चेक बाउंस से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए बड़ी बात कही। कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसे मामलों को जितना जल्दी हो सके निपटाया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर संभव हो, तो दोनों पक्ष आपस में समझौता करके केस खत्म कर सकते हैं। इससे कोर्ट का वक्त भी बचेगा और लोगों को बार-बार तारीखों के लिए दौड़ना नहीं पड़ेगा।

यह भी पढ़े:
2 Year FD Bumper Returns अब 2 साल में बनिए मालामाल – FD पर मिल रहा है बंपर ब्याज, तुरंत करें आवेदन 2 Year FD Bumper Returns

दरअसल, चेक बाउंस के मामलों में अक्सर देखा गया है कि लोग सालों तक कोर्ट में उलझे रहते हैं। यह ना सिर्फ समय की बर्बादी है, बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब दोनों पक्ष आपसी समझौते से विवाद सुलझाने को तैयार हैं, तो इसमें कोर्ट को भी सहयोग करना चाहिए और केस को जल्द खत्म कर देना चाहिए।

एक केस बना मिसाल

इस फैसले की खास बात यह रही कि कोर्ट ने चेक बाउंस के एक केस में सजा को रद्द कर दिया क्योंकि उस केस में आरोपी ने शिकायतकर्ता को पैसे लौटा दिए थे और दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया था। इसी आधार पर कोर्ट ने कहा कि सजा का कोई मतलब नहीं बनता जब विवाद खत्म हो चुका है।

यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे यह साफ हो गया है कि चेक बाउंस को रेगुलेटरी अपराध की तरह देखा जाना चाहिए, जिसमें जेल भेजने के बजाय आपसी समझौते से समाधान निकाला जा सकता है।

यह भी पढ़े:
BSNL Recharge Plan BSNL का सबसे सस्ता प्लान! फ्री कॉलिंग, डेटा और SMS सबकुछ मिलेगा एक साथ BSNL Recharge Plan

निचली अदालतों को भी दी सलाह

सुप्रीम कोर्ट ने इस मौके पर निचली अदालतों को भी सलाह दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों को ज्यादा लंबे समय तक लटकाने का कोई मतलब नहीं है। अगर दोनों पक्ष एक समाधान पर राजी हैं, तो अदालत को भी समझदारी दिखाते हुए मामले को जल्द खत्म कर देना चाहिए।

साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि चेक बाउंस के केस में सिर्फ सजा देने पर फोकस ना किया जाए, बल्कि समाधान पर ध्यान दिया जाए। अगर दोनों पक्षों की आपसी सहमति बनती है, तो अदालत को उस दिशा में प्रयास करना चाहिए।

क्या है चेक बाउंस का असली झंझट?

असल में जब कोई चेक बाउंस होता है, तो मामला सीधे अदालत पहुंच जाता है। ये एक अपराध माना जाता है, जो कि धारा 138 के तहत आता है। लेकिन अब कोर्ट की सोच में बदलाव नजर आ रहा है। कोर्ट मानता है कि चेक बाउंस एक तकनीकी गलती भी हो सकती है, जो जानबूझकर ना भी हुई हो। ऐसे में अगर सामने वाला इंसान पैसे लौटाने को तैयार है, तो केस को लटकाना समझदारी नहीं है।

यह भी पढ़े:
NHAI Toll Plaza Rule NHAI ने जारी किया नया नियम, टोल प्लाज़ा की दूरी तय – जानिए कहां-कहां होगा असर NHAI Toll Plaza Rule

प्रॉमिसरी नोट वाले मामलों में भी फायदा

कोर्ट का यह फैसला सिर्फ चेक बाउंस तक सीमित नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जो केस प्रॉमिसरी नोट यानी वचन पत्र से जुड़े होते हैं, वहां भी अगर दोनों पक्ष समझौते के लिए तैयार हों, तो मामला आसानी से निपटाया जा सकता है। इसका मतलब ये हुआ कि सिर्फ सजा ही रास्ता नहीं है, समझदारी और बातचीत भी हल निकाल सकती है।

सुप्रीम कोर्ट का नजरिया बदला

यह फैसला इस बात का संकेत है कि सुप्रीम कोर्ट अब चेक बाउंस जैसे मामलों में थोड़ा लचीला रुख अपना रहा है। कोर्ट मानता है कि जब तकनीकी गलती या देर-सबेर पैसे वापस मिल जाते हैं, तो सजा देकर किसी को कोर्ट में घसीटना सही नहीं है। इससे न्याय प्रणाली पर भी अनावश्यक बोझ पड़ता है।

लोगों को क्या करना चाहिए?

अगर आप भी किसी चेक बाउंस के केस में फंसे हैं और सामने वाला व्यक्ति पैसे देने को तैयार है, तो कोर्ट जाने के बजाय आपसी बातचीत से हल निकालना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। इससे आपका समय और पैसा दोनों बचेगा और झंझट भी कम होगा।

यह भी पढ़े:
Income Tax Notice इस लिमिट से ज्यादा रकम खाते में जमा की तो इनकम टैक्स भेजेगा नोटिस! जानिए नियम Income Tax Notice

इस फैसले से यह साफ हो गया है कि अब चेक बाउंस के मामलों में सिर्फ सजा पर जोर नहीं दिया जाएगा। समझौते को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि दोनों पक्षों को राहत मिल सके। यह कदम देश की न्याय प्रणाली को ज्यादा व्यावहारिक और जनहितकारी बनाएगा।

5 seconds remaining

Leave a Comment

Join Whatsapp Group