EPFO का बड़ा झटका – अब पेंशन के लिए जरूरी है इतने साल की नौकरी EPFO Pension New Rule

By Prerna Gupta

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EPFO Pension New Rule

EPFO Pension New Rule – अगर आप नौकरीपेशा हैं और EPFO के तहत आपकी सैलरी से PF कटती है, तो ये खबर आपके लिए बहुत जरूरी है। EPFO यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अपनी पेंशन योजना यानी EPS में कुछ अहम बदलाव किए हैं, जो सीधे आपके रिटायरमेंट प्लान को प्रभावित करते हैं। खास बात ये है कि अब पेंशन पाने के लिए कितने साल नौकरी करनी होगी, इसको लेकर पूरी तरह से स्पष्टता आ गई है।

EPFO की पेंशन योजना का मकसद है कि कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक तय राशि हर महीने पेंशन के रूप में मिले, जिससे उन्हें वृद्धावस्था में आर्थिक मदद मिल सके। पहले कई लोगों को नियमों की जानकारी नहीं होती थी और वे पेंशन से वंचित रह जाते थे। इसलिए अब प्रक्रिया को और ज्यादा डिजिटल, आसान और पारदर्शी बनाया गया है।

अब कितने साल नौकरी जरूरी है?

अब EPFO की पेंशन पाने के लिए कम से कम 10 साल की नौकरी जरूरी कर दी गई है। लेकिन घबराइए नहीं, ये 10 साल की नौकरी लगातार हो ये जरूरी नहीं है। अगर आपने बीच में जॉब बदली है या ब्रेक लिया है, लेकिन आपका UAN (Universal Account Number) एक ही रहा है और आपने EPFO में योगदान जारी रखा है, तो आपकी सारी सेवाएं जोड़ दी जाएंगी।

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उदाहरण के तौर पर, अगर आपने एक कंपनी में 4 साल और दूसरी में 6 साल काम किया, और दोनों जगह आपका UAN एक था, तो आपकी कुल सेवा 10 साल मानी जाएगी और आप पेंशन के हकदार होंगे।

अगर 10 साल की नौकरी पूरी नहीं हुई तो?

अगर आपकी नौकरी 10 साल से कम की रही है, तो आपको पेंशन तो नहीं मिलेगी लेकिन EPFO में जमा पूरा पैसा आप निकाल सकते हैं। इसे ‘withdrawal benefit’ कहा जाता है। यानी पैसा डूबेगा नहीं, लेकिन हर महीने की पेंशन नहीं मिलेगी।

कब मिलेगी पेंशन?

पेंशन लेने की उम्र 58 साल तय की गई है। हालांकि आप चाहें तो 50 साल की उम्र के बाद भी पेंशन ले सकते हैं, लेकिन इसमें कटौती कर दी जाती है। और अगर आप 60 साल तक इंतजार करते हैं, तो हर एक्स्ट्रा साल पर 4% ज्यादा पेंशन मिलेगी।

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EPFO ने और क्या बदलाव किए हैं?

  1. सेंट्रलाइज्ड पेंशन पेमेंट सिस्टम (CPPS):
    अब देश के किसी भी बैंक ब्रांच से आप अपनी पेंशन निकाल सकते हैं। PPO नंबर ट्रांसफर करवाने की झंझट भी खत्म हो गई है।
  2. डिजिटल प्रोसेस:
    अब नाम, जन्मतिथि, जेंडर जैसी जानकारियां आप खुद ऑनलाइन अपडेट कर सकते हैं। PF ट्रांसफर में नियोक्ता की मंजूरी जरूरी नहीं रही। OTP और फेस ऑथेंटिकेशन से काम और आसान हो गया है।
  3. न्यूनतम पेंशन बढ़ी:
    पहले हर महीने की न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए थी, अब इसे बढ़ाकर 7500 रुपए कर दिया गया है। इससे करोड़ों पेंशनर्स को फायदा मिलेगा।
  4. उच्च पेंशन का विकल्प:
    अगर आपकी सैलरी 15 हजार से ज्यादा है और आप रिटायरमेंट के बाद ज्यादा पेंशन चाहते हैं, तो इसके लिए अतिरिक्त योगदान देकर ‘Higher Pension’ का विकल्प लिया जा सकता है। इसके लिए अलग से आवेदन करना होता है।

पेंशन किसे-किसे मिलती है?

  • खुद रिटायर कर्मचारी को (सुपरएन्नुएशन पेंशन)
  • 50-58 साल की उम्र में रिटायर होने पर आंशिक पेंशन
  • विकलांगता की स्थिति में
  • मृत्यु के बाद विधवा/विधुर को
  • बच्चों और अनाथ बच्चों को
  • और अगर नामित व्यक्ति है, तो उसे भी पेंशन का लाभ

EPFO में योगदान का फॉर्मूला क्या है?

  • कर्मचारी की सैलरी का 12% EPF खाते में जाता है
  • नियोक्ता की सैलरी का 12% में से 8.33% EPS (पेंशन) में और 3.67% EPF में जाता है
  • EPS में बेसिक सैलरी का अधिकतम 15000 रुपये ही मान्य होता है, अगर उच्च पेंशन का विकल्प ना लिया गया हो

EPFO की ये नई व्यवस्था पेंशनरों और कर्मचारियों दोनों के लिए फायदे का सौदा है। अब पेंशन सिस्टम ज्यादा सरल, पारदर्शी और डिजिटल हो गया है। यदि आप EPFO सदस्य हैं तो ये ध्यान रखें कि आपका UAN एक्टिव हो, आधार से लिंक हो और सभी जानकारियां अपडेट हों। 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद आपको पेंशन की गारंटी मिलेगी।

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