GOVT Employees Retirement Age Hike – सरकारी नौकरी करने वालों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है, जो खासकर डॉक्टर और प्रोफेसर जैसे पेशों में लगे लोगों के लिए राहत लेकर आई है। मध्यप्रदेश सरकार अब आयुष विभाग के डॉक्टरों और शिक्षकों की रिटायरमेंट उम्र को 65 साल तक बढ़ाने की तैयारी में जुट गई है। हालांकि अभी तक इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि आने वाली कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल सकती है।
क्या है पूरा मामला?
असल में आयुष कॉलेजों में डॉक्टरों और प्रोफेसरों की लगातार कमी देखी जा रही है। हर साल करीब 15 से 20 अनुभवी डॉक्टर रिटायर हो जाते हैं, लेकिन उनकी जगह नए लोगों की भर्ती नहीं हो पा रही है। ऐसे में सरकार ने सोचा कि क्यों न अनुभवी लोगों को कुछ साल और सेवा में रखा जाए ताकि अस्पतालों और कॉलेजों में स्टाफ की कमी से मरीजों और छात्रों को परेशानी न हो।
इसलिए अब सरकार यह योजना बना रही है कि आयुष कॉलेजों के डॉक्टर और शिक्षक 65 साल तक काम कर सकें। इससे ना सिर्फ व्यवस्था बनी रहेगी, बल्कि लंबे अनुभव वाले लोगों की सेवा से भी जनता को लाभ मिलेगा।
पहले भी हुआ ऐसा फैसला
यह पहला मौका नहीं है जब रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने की बात हो रही है। इससे पहले मध्यप्रदेश सरकार ने एलोपैथी डॉक्टरों की रिटायरमेंट एज को पहले ही 65 साल कर दिया है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और पशु चिकित्सा शिक्षा के कॉलेजों में भी फैकल्टी की रिटायरमेंट एज पहले से 65 साल है।
ऐसे में अब आयुष कॉलेज के डॉक्टर और शिक्षक भी बराबरी की मांग कर रहे थे और सरकार भी इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने के मूड में है।
आयुष विभाग का प्रस्ताव तैयार
सूत्रों की मानें तो आयुष विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर लिया है और अब बस कैबिनेट की मंजूरी बाकी है। जैसे ही यह प्रस्ताव पास होता है, वैसे ही हजारों सरकारी डॉक्टरों और शिक्षकों को सीधा फायदा मिलेगा। खास बात यह है कि रिटायरमेंट उम्र बढ़ने से उन्हें कुछ साल और नौकरी करने का मौका मिलेगा और सरकार को नई भर्तियों की दौड़ में थोड़ी राहत मिल जाएगी।
क्यों जरूरी है यह फैसला?
प्रदेश में डॉक्टरों की भारी कमी है। आयुष सेक्टर में डॉक्टरों की जरूरत बढ़ती जा रही है, लेकिन नई नियुक्तियाँ उतनी नहीं हो पा रही हैं। इसके चलते अस्पतालों और कॉलेजों में मौजूद स्टाफ पर ज्यादा बोझ पड़ता है। ऐसे में अनुभव रखने वाले डॉक्टरों को कुछ साल और सेवा में रखना एक स्मार्ट फैसला हो सकता है।
क्या सभी सरकारी कर्मचारियों की उम्र बढ़ेगी?
नहीं, अभी यह प्रस्ताव सिर्फ आयुष विभाग के लिए है। इसका मतलब यह है कि केवल आयुष कॉलेजों के डॉक्टरों और शिक्षकों पर यह लागू होगा। बाकी सरकारी विभागों के कर्मचारियों के लिए अभी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
कब तक लागू हो सकता है यह फैसला?
अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला तो आने वाली कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लग सकती है। इसके बाद सरकार की ओर से एक नोटिफिकेशन जारी होगा और फिर यह नियम लागू हो जाएगा। माना जा रहा है कि जुलाई या अगस्त तक इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है।
इस फैसले से किन्हें होगा फायदा?
- आयुष कॉलेजों के डॉक्टर जो अभी भी सेवा देना चाहते हैं
- वे शिक्षक जो रिटायरमेंट के करीब हैं और कुछ साल और काम करना चाहते हैं
- अस्पताल और कॉलेजों में स्टाफ की कमी की वजह से जूझ रही व्यवस्थाएं
- वो मरीज और छात्र जो अनुभव वाले डॉक्टर और शिक्षकों से इलाज या शिक्षा पा सकेंगे
अगर आप भी आयुष कॉलेज से जुड़े हैं या कोई जान-पहचान वाला है जो इस क्षेत्र में है, तो उन्हें यह जानकारी जरूर दें। यह फैसला सिर्फ एक नौकरी का विस्तार नहीं है, बल्कि यह अनुभव और सेवा का सम्मान भी है। सरकार का यह कदम ना केवल स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करेगा, बल्कि समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश भी होगा।