House Rent – आज के दौर में नौकरी या पढ़ाई के लिए लोग अपने घर-परिवार से दूर शहरों या कस्बों में बस रहे हैं। ऐसे में किराए का मकान हर किसी के लिए बेहद जरूरी हो जाता है। लेकिन बढ़ती मांग के कारण मकान मालिक भी किराया बढ़ाने को लेकर मनमानी करने लगे हैं। इसलिए हर किरायेदार के लिए यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि मकान मालिक कितना और कैसे किराया बढ़ा सकता है। बिना जानकारी के कई बार लोग मकान मालिकों की मनमानी के शिकार हो जाते हैं।
इसलिए आज हम आपको बताएंगे कि किराया बढ़ाने के क्या नियम होते हैं, कौन-कौन से कानून मकान मालिक पर लागू होते हैं और किस हद तक मकान मालिक किराया बढ़ा सकता है।
मकान मालिक किराया बिना वजह नहीं बढ़ा सकता
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि मकान मालिक अपनी मर्जी से कोई भी किराया बढ़ा नहीं सकता। ये बिलकुल गैरकानूनी होता है। किराए में बढ़ोतरी के लिए मकान मालिक को नियमों का पालन करना होता है, और वह भी राज्य या स्थानीय कानून के मुताबिक। यानी आपके राज्य में जो किराया नियंत्रण नियम हैं, वही मकान मालिक को मानने पड़ेंगे।
किराए पर लेने वाले का एग्रीमेंट सबसे जरूरी
जब आप घर किराए पर लेते हैं तो अक्सर मकान मालिक और किरायेदार के बीच एक लिखित समझौता या एग्रीमेंट होता है। इस एग्रीमेंट में ये तय होता है कि किराया कब और कितना बढ़ेगा। अगर एग्रीमेंट में साफ लिखा हो कि एक साल में किराया 10 प्रतिशत बढ़ेगा, तो मकान मालिक इस हिसाब से किराया बढ़ा सकता है। लेकिन अगर इस बात का जिक्र नहीं है, तो किराया बढ़ाना मकान मालिक के लिए मुमकिन नहीं।
यानी एक साल के किराए पर रहने के दौरान मकान मालिक किराया नहीं बढ़ा सकता, जब तक कि एग्रीमेंट में कोई शर्त न हो। इसलिए हमेशा घर किराए पर लेते वक्त यह देखना जरूरी है कि किराया बढ़ाने का प्रावधान क्या है।
राज्य और शहर के हिसाब से नियम अलग
देश के अलग-अलग राज्यों में किराया बढ़ाने के नियम अलग-अलग हैं। कई राज्यों ने किराया नियंत्रण कानून बनाए हैं ताकि किराएदारों को ज्यादा बढ़ोतरी से बचाया जा सके।
महाराष्ट्र में किराया नियंत्रण कानून
महाराष्ट्र में 31 मार्च 2000 से किराया नियंत्रण अधिनियम लागू है। इसके मुताबिक मकान मालिक हर साल किराया केवल 4 प्रतिशत तक ही बढ़ा सकता है। इसके अलावा अगर मकान मालिक ने मकान में कोई बड़ा मरम्मत या सुधार किया है, तब भी किराया 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता।
इस कानून का मकसद है कि मकान मालिक मनमानी तरीके से किराया न बढ़ाएं और किराएदारों को महंगाई के बोझ से कुछ हद तक बचाया जा सके।
दिल्ली में किराया बढ़ोतरी के नियम
दिल्ली में 2009 में रेंट कंट्रोल एक्ट लागू हुआ था। इसके तहत मकान मालिक किराया हर साल 7 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ा सकता। यह कानून दिल्ली के किरायेदारों को अतिरिक्त किराए के बोझ से बचाने के लिए बनाया गया है।
इस कानून के अनुसार, अगर किरायेदार किसी मकान में लंबे समय तक लगातार रहता है, तो मकान मालिक को हर साल 7 प्रतिशत से ज्यादा किराया बढ़ाने का अधिकार नहीं है। बिना नोटिस के या नियम तोड़े किराया बढ़ाना गैरकानूनी माना जाता है।
मकान मालिक को किराया बढ़ाने से पहले सूचना देना जरूरी
चाहे आप महाराष्ट्र में हों या दिल्ली या भारत के किसी भी हिस्से में, मकान मालिक को किराया बढ़ाने से पहले किरायेदार को लिखित सूचना देनी जरूरी होती है। अचानक बिना नोटिस के किराया बढ़ाना गलत और गैरकानूनी है। इससे किरायेदार भी तैयारी कर सकता है और अपनी स्थिति को संभाल सकता है।
किरायेदार को भी अपने अधिकारों से रहना चाहिए अवगत
किरायेदारों को चाहिए कि वे अपने अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी रखें। बिना एग्रीमेंट के घर किराए पर न लें। हमेशा मकान मालिक से लिखित में ही किराया संबंधी सभी शर्तें तय करें। साथ ही किराया बढ़ोतरी के नियमों को समझें ताकि कोई भी मनमानी न हो सके।
अगर मकान मालिक नियमों का उल्लंघन करता है या बिना सूचना किराया बढ़ाता है, तो किरायेदार संबंधित विभाग या कोर्ट में शिकायत कर सकता है। कानून हमेशा किरायेदारों के पक्ष में जाता है जब मामला साफ और सही होता है।
कुछ और बातें जिन्हें जानना जरूरी है
- किराए पर लेने वाले मकान में किराया बढ़ाने के अलावा, मकान मालिक कुछ मरम्मत या सुधार के खर्च भी किराए में जोड़ सकते हैं। लेकिन ये भी कानून के दायरे में रहकर ही संभव होता है।
- किराए की बढ़ोतरी की सीमा तय होती है ताकि किरायेदार महंगाई के बीच भी घर में रह सके और मकान मालिक को भी उचित लाभ मिल सके।
- कुछ शहरों या राज्यों में किराया बढ़ाने के नियम और भी सख्त हो सकते हैं। इसलिए किरायेदार को अपने इलाके के किराया नियंत्रण कानूनों की जानकारी जरूर लेनी चाहिए।
आज की परिस्थितियों में जहां ज्यादा लोग शहरों में किराए के मकानों में रहते हैं, वहां यह जानकारी बहुत जरूरी हो जाती है कि मकान मालिक कितनी बार और कितना किराया बढ़ा सकता है। मकान मालिक भी बिना नियमों का पालन किए किराया नहीं बढ़ा सकते। किरायेदारों को चाहिए कि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और किराया बढ़ोतरी के नियमों को समझें।
अगर मकान मालिक और किरायेदार दोनों ही अपने-अपने कर्तव्यों और अधिकारों को समझेंगे, तो रिश्ता बेहतर रहेगा और किसी भी तरह के विवाद से बचा जा सकेगा। किराए का मकान लेने या देने से पहले कानूनी सलाह लेना हमेशा फायदेमंद रहता है।
इस जानकारी के साथ आप अपने किराए के मामले को सही तरीके से समझकर आगे बढ़ सकते हैं और अपनी सुरक्षा कर सकते हैं।