हाईकोर्ट का बड़ा फैसला – लोन नहीं भर पाने वालों को राहत Loan Recovery Rule

By Prerna Gupta

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Loan Recovery Rule

Loan Recovery Rule – अगर आपने बैंक से लोन लिया है और किसी वजह से चुकता नहीं कर पाए हैं, तो ये खबर आपके लिए बड़ी राहत लेकर आई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने लोन रिकवरी को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है जो लाखों लोनधारकों के लिए राहत भरी हो सकती है। इस फैसले के बाद अब बैंकों की मनमानी पर कुछ हद तक लगाम लगेगी।

क्या कहा हाईकोर्ट ने LOC पर?

हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि बैंक किसी भी लोन डिफॉल्ट केस में सीधे लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी नहीं कर सकते। जब तक मामला किसी गंभीर अपराध, धोखाधड़ी या गबन से जुड़ा न हो, तब तक LOC जैसी सख्त कार्रवाई सही नहीं मानी जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि बैंक को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की जरूरत है। इस फैसले से यह तय हो गया कि सिर्फ लोन न चुकाने पर किसी को विदेश जाने से नहीं रोका जा सकता।

क्या होता है LOC और इसका असर?

Lookout Circular (LOC) एक ऐसा नोटिस होता है जो किसी व्यक्ति को देश छोड़ने से रोक सकता है। यह आमतौर पर तब जारी किया जाता है जब किसी व्यक्ति के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामला चल रहा हो। लेकिन पिछले कुछ सालों में बैंकों ने लोन नहीं चुकाने पर भी LOC जारी करने शुरू कर दिए थे, जिससे कई निर्दोष लोगों को विदेश जाने से रोका गया।

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कोर्ट ने किस केस में दिया यह फैसला?

यह मामला एक कंपनी के पूर्व निदेशक से जुड़ा था, जिसने अपने कार्यकाल में कंपनी के लोन की गारंटी दी थी। बाद में वह कंपनी छोड़ चुका था और लोन की रकम चुकता नहीं हुई थी। बैंक ने इस गारंटी के आधार पर उसके खिलाफ LOC जारी करवाने की कोशिश की। लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए LOC रद्द कर दिया और कहा कि जब तक व्यक्ति आपराधिक गतिविधियों में शामिल नहीं है, उसके खिलाफ LOC नहीं लगाया जा सकता।

विदेश यात्रा रोकना है मौलिक अधिकारों का उल्लंघन

कोर्ट ने अपने फैसले में भारतीय संविधान की धारा 21 का हवाला देते हुए कहा कि हर नागरिक को स्वतंत्र रूप से यात्रा करने का अधिकार है। जब तक कोई व्यक्ति अपराधी घोषित नहीं हो जाता, तब तक उसका यह मौलिक अधिकार नहीं छीना जा सकता।

बैंकों को दी गई सख्त चेतावनी

हाईकोर्ट ने बैंकों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे सामान्य लोन डिफॉल्ट मामलों में LOC का इस्तेमाल न करें। यह सिर्फ गंभीर मामलों में ही लागू किया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि लोन वसूली के लिए बैंकों को कानूनी तरीका अपनाना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन करें।

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क्या सीखा जा सकता है इस फैसले से?

  1. लोन न चुकाने पर बैंकों को भी सीमाएं ध्यान में रखनी होंगी।
  2. सिर्फ गारंटर होना ही LOC के लिए पर्याप्त कारण नहीं है।
  3. आम नागरिक को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और किसी भी मनमानी के खिलाफ कानूनी सहायता जरूर लेनी चाहिए।

Disclaimer: यह लेख सार्वजनिक समाचार स्रोतों और हाईकोर्ट के फैसलों पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी केवल जनहित में है। यदि आप खुद लोन डिफॉल्ट या कानूनी कार्यवाही से जुड़ी किसी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो किसी अनुभवी वकील से व्यक्तिगत सलाह लेना जरूरी है। लेख का उद्देश्य कानूनी मार्गदर्शन नहीं, बल्कि जानकारी प्रदान करना है।

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