Property Rent Rules – आजकल बहुत सारे लोग अपनी खाली पड़ी प्रॉपर्टी को किराए पर देना चाहते हैं ताकि हर महीने एक तय आमदनी होती रहे। लेकिन सिर्फ किराया मिलने की खुशी में अगर आप बिना सोचे समझे प्रॉपर्टी किराए पर दे देते हैं, तो सावधान हो जाइए। ऐसा न हो कि कुछ साल बाद किराएदार ही आपकी प्रॉपर्टी का मालिक बन बैठे और आप कुछ कर ही न पाएं।
अक्सर आपने सुना होगा कि सालों से एक ही मकान में रह रहा किराएदार अब मालिक बनने की बात करने लगा है। ऐसे मामलों में कानूनी लड़ाई बहुत लंबी चलती है और मकान मालिक को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। इसलिए अगर आप भी मकान किराए पर दे रहे हैं या देने की सोच रहे हैं, तो नीचे दिए गए नियमों को जरूर जान लीजिए।
क्या सच में किराएदार बन सकता है मालिक
जी हां, अगर कोई किराएदार लगातार 12 साल तक बिना किसी रुकावट और आपत्ति के किसी मकान में रह रहा है, तो वह उस प्रॉपर्टी का मालिक भी बन सकता है। इस कानून को एडवर्स पजेशन यानी प्रतिकूल कब्जा कहा जाता है। यह नियम लिमिटेशन एक्ट 1963 की धारा 65 के तहत आता है।
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हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि कोई भी किराएदार 12 साल रहकर मालिक बन जाएगा। इसके लिए उसे साबित करना होगा कि इतने सालों तक वह उस प्रॉपर्टी में बिना किसी कानूनी दस्तावेज या एग्रीमेंट के कब्जा जमाए बैठा था और मकान मालिक ने कोई आपत्ति नहीं जताई।
रेंट एग्रीमेंट क्यों है जरूरी
मकान मालिक को सबसे पहले जो काम करना चाहिए, वो है रेंट एग्रीमेंट तैयार करवाना। एक लिखित रेंट एग्रीमेंट कानूनी तौर पर मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकार और जिम्मेदारियों को तय करता है। इसमें यह साफ लिखा होता है कि किराएदार किस तारीख से मकान में रह रहा है, कितने समय के लिए एग्रीमेंट है, किराया कितना होगा, बिजली-पानी का बिल कौन देगा, मरम्मत की जिम्मेदारी किसकी होगी आदि।
अगर आपके पास एक वैध रेंट एग्रीमेंट है, तो किराएदार किसी भी स्थिति में प्रॉपर्टी पर अपना मालिकाना हक नहीं जता सकता। यही नहीं, बाद में अगर किराएदार कोई झगड़ा करता है तो आप कोर्ट में भी मजबूती से अपना पक्ष रख सकते हैं।
अगर 12 साल से ज्यादा हो जाए तो क्या करें
मान लीजिए कि आपने किसी को बिना एग्रीमेंट के किराए पर मकान दे दिया और वो 12 साल से ज्यादा समय से रह रहा है। अब ऐसे में अगर वह व्यक्ति मकान पर हक जताता है, तो भी आप पूरी तरह से असहाय नहीं हैं। अगर आपके पास पुराने किराया भुगतान के सबूत हैं, जैसे बैंक ट्रांजैक्शन या रसीदें, तो आप कोर्ट में ये साबित कर सकते हैं कि वह किराएदार ही था और अवैध कब्जा नहीं था। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप समय रहते कदम उठाएं।
सरकारी जमीन पर यह नियम लागू नहीं होता
एक जरूरी बात यह है कि एडवर्स पजेशन का नियम केवल निजी संपत्तियों पर लागू होता है। अगर कोई व्यक्ति सरकारी जमीन पर 12 साल से ज्यादा समय तक भी कब्जा कर ले, तो भी वह उसका मालिक नहीं बन सकता।
किराएदार और मकान मालिक दोनों के लिए हैं नियम
भारतीय किरायेदारी कानून में न सिर्फ मकान मालिक बल्कि किराएदार के लिए भी कुछ अधिकार और जिम्मेदारियां तय की गई हैं। उदाहरण के लिए, मकान मालिक बिना पूर्व सूचना दिए किराएदार को नहीं निकाल सकता। वहीं किराएदार को भी समय पर किराया देना, मकान को नुकसान न पहुंचाना और एग्रीमेंट की शर्तों का पालन करना जरूरी होता है।
कुछ खास टिप्स जो मकान मालिक को ध्यान में रखनी चाहिए
- हमेशा किराया लेने की रसीद दें या ऑनलाइन ट्रांसफर करवाएं ताकि रिकॉर्ड बना रहे।
- रेंट एग्रीमेंट हर 11 महीने में रिन्यू करें और उसमें संशोधन करें।
- पुलिस वेरिफिकेशन जरूर कराएं ताकि कोई आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति मकान में न रहे।
- किसी भी स्थिति में मौखिक सहमति पर मकान किराए पर न दें।
किराए पर मकान देना फायदे का सौदा तभी है जब आप कानूनी नजरिए से पूरी तैयारी करें। अगर आपने लापरवाही बरती, तो वही किराएदार आपकी मेहनत की कमाई पर कब्जा जमा सकता है। इसलिए बेहतर है कि शुरुआत से ही रेंट एग्रीमेंट बनवाएं, किराया समय पर लें और सब कुछ दस्तावेजों में दर्ज करें। सावधानी ही समझदारी है, क्योंकि कानून का ज्ञान आपको भविष्य की बड़ी मुसीबतों से बचा सकता है।