स्मार्ट मीटर की गड़बड़ी ने उड़ाई लोगों की नींद, बिना रीडिंग के आ रहा डबल बिल Smart Meter Complaint

By Prerna Gupta

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Smart Meter Complaint

Smart Meter Complaint – बिजली विभाग ने जब स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला लिया था, तो लोगों को बड़ी उम्मीदें थीं। सोचा गया था कि अब न तो फालतू बिल आएगा, न रीडिंग में गड़बड़ी होगी और शिकायतें भी तुरंत निपट जाएंगी। लेकिन सच्चाई इससे काफी अलग नजर आ रही है। आज हालात ये हैं कि लोग स्मार्ट मीटर लगवाने के बाद और भी ज्यादा परेशान हो गए हैं।

क्या है लोगों की शिकायत?

कई उपभोक्ताओं का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद उन्हें रीडिंग से ज्यादा बिल आ रहा है। और जब वो ऑनलाइन शिकायत करते हैं, तो दिखा दिया जाता है कि समस्या सुलझा दी गई, जबकि हकीकत ये है कि कोई कर्मचारी घर तक नहीं आता। ऐसे में लोगों को समझ नहीं आ रहा कि वो कहां जाएं, किससे बात करें और बिल कैसे ठीक करवाएं।

फर्जी समाधान, असली परेशानी

लखनऊ के निराला नगर में रहने वाले अनुपम द्विवेदी ने बताया कि उन्होंने बिल में गड़बड़ी की शिकायत ऑनलाइन दर्ज कराई थी, लेकिन किसी ने घर आकर मीटर देखा ही नहीं। उसके बावजूद बिजली विभाग के पोर्टल पर दिखा दिया गया कि शिकायत का समाधान हो चुका है। अब बताइए, ऐसे में उपभोक्ता क्या करे?

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रीडिंग से ज्यादा बिल, मोबाइल पर सिर्फ मैसेज

राहुल चौराहा के सेनजीत कसौधन भी इसी तरह की दिक्कत से गुजर रहे हैं। उनके मुताबिक स्मार्ट मीटर लगने के बाद से बिल सिर्फ मैसेज के जरिए मोबाइल पर आ जाता है, और वो रीडिंग से कहीं ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि दिसंबर से अब तक कोई विभागीय अधिकारी उनके पास नहीं आया। नतीजा ये है कि बिल भरना मुश्किल हो गया है और वो हर महीने चिंता में रहते हैं।

खुद बिजली विभाग को नहीं पता असली रीडिंग

विनोबापुरी के प्रवीन तिवारी के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। उन्होंने बताया कि उनके यहां चार महीने पहले स्मार्ट मीटर लगा था। तब से उन्हें जो बिल मिल रहा है, वह हर बार गलत होता है। उन्होंने जब शिकायत की तो विभाग के पास किसी तरह का स्पष्ट डेटा ही नहीं था, जिससे असली रीडिंग मालूम चल सके।

व्यापारियों की भी बढ़ी टेंशन

नमक मंडी के व्यापारी और किराना व्यापार मंडल के अध्यक्ष आलोक सागर ने कहा कि स्मार्ट मीटर का जो मकसद था, वो अब तक पूरा नहीं हो सका है। उनका कहना है कि अगर उपभोक्ता को समय पर सही बिल मिल जाए, तो वह अपने खर्चों की प्लानिंग कर सकता है। लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि लोग और ज्यादा उलझन में हैं।

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अभी तक गिनती के मीटर ही लगे हैं

सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि जिले में कुल 4.56 लाख बिजली उपभोक्ता हैं, लेकिन अब तक सिर्फ 14,500 घरों में ही स्मार्ट मीटर लगाए जा सके हैं। यानी जिस स्कीम को बड़े जोश से लॉन्च किया गया था, उसकी रफ्तार बेहद धीमी है। इससे खुद योजना पर सवाल उठने लगे हैं कि क्या वाकई इसे गंभीरता से लागू किया जा रहा है?

क्या कहता है बिजली विभाग?

परीक्षण खंड के प्रभारी अधिशासी अभियंता अंजनी नंदन का कहना है कि स्मार्ट मीटर से ही बिल जनरेट होता है और अगर किसी को ज्यादा बिल आ रहा है, तो उसकी जांच कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि सरकारी दफ्तरों में अब तक 450 में से 350 मीटर लगाए जा चुके हैं। लेकिन आम लोगों के घरों में यह काम बहुत पीछे है।

तकनीक अच्छी है, लेकिन सिस्टम फेल

स्मार्ट मीटर को लाने का मकसद था पारदर्शिता, सटीक बिलिंग और डिजिटल सुविधा। लेकिन जब जमीन पर सिस्टम ही नाकाम हो जाए, तो कोई भी तकनीक काम की नहीं रह जाती।

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विशेषज्ञों का भी मानना है कि तकनीकी समाधान तभी काम करता है, जब उसके साथ मजबूत सपोर्ट सिस्टम और जवाबदेही भी जुड़ी हो। लेकिन यहां तो दोनों ही चीजें कमजोर हैं।

स्मार्ट मीटर की योजना भले ही भविष्य की सोच रही हो, लेकिन वर्तमान में ये उपभोक्ताओं के लिए सिरदर्द बन गई है। जब तक बिजली विभाग शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेता, ग्राउंड स्टाफ को एक्टिव नहीं करता और पारदर्शी सिस्टम नहीं बनाता, तब तक स्मार्ट मीटर लोगों की समस्या बने रहेंगे, समाधान नहीं।

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