Wife Property Rights – अक्सर लोगों को लगता है कि शादी के बाद पत्नी कोई भी प्रॉपर्टी अपने पति की मंजूरी के बिना नहीं बेच सकती। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? अगर आप भी यही सोचते हैं, तो अब समय आ गया है इस भ्रम को दूर करने का। असल में, अगर कोई प्रॉपर्टी पत्नी के नाम पर रजिस्टर्ड है और वह उसकी अकेली मालकिन है, तो उसे बेचने या ट्रांसफर करने के लिए पति से पूछने की जरूरत बिल्कुल नहीं है। भारतीय कानून इस बात को साफ तौर पर मान्यता देता है। यहां तक कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी एक फैसले में इस अधिकार को पूरी तरह से सही बताया है।
अगर प्रॉपर्टी दोनों के नाम पर है तो सहमति जरूरी
अब अगर बात करें उस स्थिति की जब प्रॉपर्टी पति और पत्नी दोनों के नाम पर है, तो वहां मामला थोड़ा अलग होता है। उस प्रॉपर्टी को बेचने या किसी को ट्रांसफर करने के लिए दोनों की मंजूरी जरूरी होती है। यानी कोई एक अकेले फैसला नहीं कर सकता। यह कानून इसीलिए बना है ताकि दोनों की हिस्सेदारी सुरक्षित रहे और बाद में किसी तरह का विवाद न खड़ा हो।
पति की प्रॉपर्टी पर पत्नी का हक कितना है
अगर पति ने खुद की मेहनत से कोई प्रॉपर्टी खरीदी है, तो पत्नी को उस पर मालिकाना हक तब तक नहीं मिलता जब तक वह कानूनी तौर पर उसकी उत्तराधिकारी न बन जाए। हां, शादीशुदा जीवन में पत्नी को उस घर या संपत्ति का उपयोग करने का हक जरूर होता है, लेकिन वो इसे बेच नहीं सकती। वहीं अगर प्रॉपर्टी पैतृक है यानी पति को अपने पिता या परिवार से मिली है, तो पत्नी का सीधा हक तभी बनता है जब पति की मृत्यु हो जाए। तब वह एक वारिस के रूप में सामने आती है।
अलगाव या तलाक के वक्त क्या होता है
अगर किसी वजह से पति और पत्नी के रिश्ते में दरार आ जाए और दोनों अलग हो जाएं, तो पत्नी को गुजारा भत्ते यानी मेंटेनेंस का कानूनी अधिकार मिलता है। अगर पति कमाई नहीं कर रहा और पत्नी की आमदनी है, तो कुछ मामलों में पति भी पत्नी से गुजारा भत्ता मांग सकता है। ये दिखाता है कि कानून अब सिर्फ महिलाओं को नहीं, बल्कि दोनों पक्षों को समान नजर से देखता है।
किसकी कमाई से खरीदी गई प्रॉपर्टी, किसकी होगी
अगर किसी ने शादी से पहले कोई संपत्ति खरीदी है, तो वह उसी की मानी जाएगी जिसने पैसे दिए। वहीं शादी के बाद अगर पति-पत्नी दोनों ने मिलकर प्रॉपर्टी में निवेश किया है, तो भले ही दस्तावेज एक के नाम पर हो, मगर मालिकाना हक दोनों का माना जाएगा। इसी तरह अगर किसी को कोई संपत्ति गिफ्ट में मिली हो या विरासत में आई हो, तो वो भी उसी की मानी जाएगी जिसे मिली है। दूसरे को उस पर कोई हक नहीं होता।
महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को लेकर फैले भ्रम
आज भी हमारे समाज में बहुत से लोग सोचते हैं कि महिला को प्रॉपर्टी पर पुरुषों जितना हक नहीं मिलता, लेकिन हकीकत इससे अलग है। भारतीय कानून महिलाओं को पुरुषों के बराबर संपत्ति के अधिकार देता है। महिलाएं भी अब पूरी तरह से मालिक बन सकती हैं, खरीद-बिक्री कर सकती हैं और स्वतंत्र रूप से संपत्ति का प्रबंधन कर सकती हैं। यह हमारे समाज के लिए एक बड़ी सकारात्मक सोच की ओर इशारा करता है।
विवाद से बचने के लिए जागरूकता जरूरी
अगर संपत्ति से जुड़ा कोई मामला है, तो जरूरी है कि हर प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से हो। अगर संपत्ति संयुक्त हो यानी दोनों के नाम हो, तो कोई भी फैसला दोनों की सहमति से ही लिया जाना चाहिए। किसी भी डील से पहले किसी वकील से सलाह जरूर लेनी चाहिए ताकि बाद में किसी तरह की परेशानी न हो।
अब कानून भी दे रहा है बराबरी का साथ
भारत की न्याय व्यवस्था अब इस दिशा में आगे बढ़ रही है जहां महिला और पुरुष दोनों को संपत्ति से जुड़े मामले में बराबरी का दर्जा मिले। यह बदलाव सिर्फ कागजों पर नहीं है, बल्कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों में भी साफ नजर आता है। अब समाज को भी यह समझना होगा कि महिला को संपत्ति के मामले में कमजोर समझना पूरी तरह गलत है।
अगर पत्नी किसी संपत्ति की कानूनी मालिक है, तो उसे उसे बेचने के लिए किसी से भी इजाजत लेने की जरूरत नहीं है, चाहे वो उसका पति ही क्यों न हो। मालिकाना हक वैवाहिक रिश्ते पर नहीं बल्कि कागजी स्वामित्व पर निर्भर करता है। सही जानकारी और दस्तावेजों के साथ अगर काम किया जाए तो संपत्ति विवादों से आसानी से बचा जा सकता है।